मुहावरे

मुहावरे


1. अपने पाँव में आप कुल्हाड़ी मारना – जानबूझकर मुसीबत में पड़ना – तुमने तो अपने पाँव में आप ही कुल्हाडी मारी है, अब मुझे क्यों दोष देते हो?

2. अढ़ाई चावल की खिचड़ी अलग पकाना – अलग रहना – कुछ वर्ष पहले पाकिस्तान अढ़ाई चावल की खिचडी अलग पका रहा था|

3. अपना सा मुँह लेकर रह जाना – किसी काम में असफल होने पर लज्जित होना – जब वह निर्दोष श्याम को मुकदमे में नहीं फसा सका तो अपना सा मुँह लेकर रह गया|

4. अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना – अपनी बड़ाई आप करना – अपने मुँह मियाँ मिट्लू बननेवाले को समाज में इज्जत नहीं मिलती|

5. अरमान निकालना – हौसला पूरा करना – बेटें की शादी में बाबू साहब ने अपने दिल के अरमान निकाले||

6. अरमान रहना (या रह जाना) – इच्छा पूरी न होना – इकलौते बेटे के अचानक मर जाने से उस गरीब के सारे अरमान रह गये|

7. आँख उठाकर न देखना – ध्यान न देना, तिरस्कार करना – मैं उनके पास काम के लिए गया था, परंतु उन्होंने मुझे आँख उठाकर भी न देखा|

8. आँख का काँटा होना – खटकना, शत्रु होना – अपनी काली करतूतों के कारण वह पड़ोसियों की आँख का काँटा हो गया है|

9. आँख का काजल चुराना – सफाई के साथ चोरी करना – इतने लोगों के बीच से घड़ी गायब ! चोर ने तो जैसे ऑखों का काजल ही चुरा लिया है

10. आँख का तारा, आँख की पुतली – बहुत प्यारा – यह बच्चा मेरी आँखों का तारा है|

11. आँख दिखाना – क्रोध से देखना, रोकना, धमकाना – गलती भी करते हो और ऊपर से ऑखें भी दिखाते हो|

12. आँखों में धूल झोंकना – सरे आम धोखा देना – परीक्षक की आँखों में धूल झोंककर कुछ विद्यार्थी अच्छे अंक तो पा जाते हैं, परंतु इससे उन्हें जीवन में सफलता नहीं मिलती

13. आँखों पर चढ़ना – पसंद आ जाना, किसी चीज के लिए लोभ होना – तुम्हारी घड़ी चोर की आँखों पर चढ़ गयी थी, इसलिए मौका पाते ही उसने चुरा ली|

14. आखें फेर लेना – पहले जैसा व्यवहार न रखना – जब से उसे अफसरी मिली है, उसने माँ बाप, यार दोस्त सबसे आँखें फेर ली है

15. ऑखें बिछाना – प्रेम से स्वागत करना, बाट जोहना – तुम्हारी राह में आँखें बिछाये कय से बैठा हूँ तुम जल्द आ जाओ

16. आँख में पानी न होना – बेहया, बेशर्म होना – बेईमान लोगों की आँखों में पानी नहीं होता

17. आँखों में खून उतरना – अत्यधिक क्रोध होना – जयचंद को देखते ही महाराज पृथ्वीराज की आँखों में खून उतर आया

18. आँखों में गड़ना (या चुभना) – बुरा लगना, पसंद आना – तुम्हारी कलम मेरी आँखों में गड़ गयी है, इसे तुम मुझे दे दी

19. आँखों में चरबी छाना – घमंड होना – दौलत हाथ में आते ही उसकी आँखों में चरबी छा गयी और वह अपने रिश्तेदारों से बुरा व्यवहार करने लगा

20. आँखे लाल करना – क्रोध से देखना – आँखें लाल मत करो, इससे मैं डरनेवाला नहीं

21. आँखे सेंकना – दर्शन का सुख उठाना – बहुत से नवयुवक तो मेले ठेले में सिर्फ आँखे सेंकने ही आते हैं

22. आँच न आने देना – थोड़ा भी आघात न होने देना – इस झमेले में मेरे दोस्त रवि ने मुझ पर जरा सी भी आँच न आने दी

23. आटे दाल का भाव मालूम होना – कठिनाइयों का ज्ञान होना – तुम्हारे ऊपर जब जिम्मेवारियाँ आयेंगी तभी तुम्हें ऑटे दाल का भाव मालूम होगा

24. आँसू पीकर रह जाना – दु:ख अपमान को बर्दास्त कर लेना – सबके सामने जली कटी सुनकर भी वह आँसू पीकर रह गया

25. आकाश के तारे तोड़ लाना – असंभव काम करना – तुम्हें नौकरी क्या मिली, लगता है आकाश के तारे तोड़ लाये हो

26. आकाश पाताल एक करना – खूब परिश्रम करना – तुम्हें नौकरी दिलाने के लिए विकास ने आकाश पाताल एक कर दिया था

27. आग पर पानी डालना – शांत करना – दोनों मित्रों के बीच काफी गरमा गरमी हो गयी थी, पर दीदी की बातों ने आग पर पानी डाल दिया

28. आग में घी डालना – झगड़ा बढ़ाना – रमेश, तुम गोवर्धन की बातों में मत आना, उसका तो काम ही है आग में घी डालना

29. आग में कूदना – जानबूझकर मुसीबत में पड़ना – साहसी व्यक्ति खतरों से डरते नहीं, वे आग में भी कूद पड़ते हैं

30. आग बबूला होना – बहुत क्रुध होना – राम की अनाप शनाप बातें सुनकर मोहन आग बबूला हो गया

31. आग लगने पर कुआँ खोदना – विपत्ति आ जाने पर प्रतिकार का उपाय खोजना – बीमारी की इस अंतिम अवस्था में दूर शहर से डॉक्टर बुलाने की बात सोचना आग लगने पर कुआँ खोदने जैसा है

32. आटा गीला करना – घाटा लगाना – औने पौने दामों में इन्हें बेचकर क्यों अपना आटा गीला कर रहे हो ?

33. आधा तीतर आधा बटेर – बेमेल, बेढंगा – पश्चिमी सभ्यता ने भारतीय सभ्यता संस्कृति को आधा तीतर आधा बटेर बना दिया है

34. आपे से बाहर होना – क्रोधित होना – इतनी सी बात प ही मास्टर साहब आपे से बाहर

35. आबरू पर पानी फिरना – प्रतिष्ठा नष्ट होना – तुम्हारी बेवकूफी के कारण ही मेरी आबरू पर पानी फिर गया

36. आवाज उठाना – विरोध करना – सरकार के खिलाफ आवाज उठाना एक साधारण बात हो गयी है

37. आसमान सिर पर उठाना – उपद्रव करना – इतनी छोटी सी बात पर उसने आसमान सिर पर उठा लिया था

38. आसमान से बातें करना – बहुत ऊँचा होना – देवघर के मंदिर का शिखर आसमान से बातें कर रहा है

39. आस्तीन का साँप – मित्र के रूप में शत्रु – उस पर कभी भरोसा मत करना, वह तो आस्तीन का साँप है

40. इधर उधर करना – टालमटोल करना – अब ज्यादा इधर उधर करना बंद करो, चुपचाप मेरी पुस्तक मुझे लौटा दो

41. इधर की दुनिया उधर होना – अनहोनी बात होना – चाहे इधर की दुनिया उधर हो जाय, मैं तुम्हारे यहाँ नहीं जानेवाला हूँ

42. इधर की उधर करना – चुगली करना – उसके सामने यह सब क्यों कहते हो ? उसकी तो आदत ही है इधर की उधर करने की

43. ईट से ईट बजान – अंतिम दम तक लड़ना, बर्बाद करना – मैं उसकी ईंट से ईट बजा ट्रॅगा, पर हार नहीं मानूगा

44. ईंट का जवाब पत्थर से देना – दुष्टों के साथ दुष्टता का व्यवहार करना – वे लोग हमारे आदमियों को पीटकर तीसमार खाँ बने घूमते हैं, पर यह नहीं जानते कि हमें भी ईंट का जवाब पत्थर से देना आता है

45. ईद (दूज) का चाँद होना – मुश्किल से दिखाई देना – बहुत दिनों से मिले नहीं मोहन, तुम तो आजकल ईद का चाँद हो गये हो

46. उड़ती खबर – अफवाह – यह उड़ती खबर है, इस पर विश्वास पत करना

47. उल्लू का पट्ठा – निरा बेवकूफ – उस जैसा उल्लू का पट्ठा भी कहीं अक्ल से काम लती हैं |

48. उल्लू बनाना – बेवकूफ बनाना – उसे तुम उल्लू नहीं बना सकते, वह बड़ा चतुर है

49. उल्लू सीधा करना – काम निकालना – नेताजी की खुशामद करके आखिर उसने अपना उल्लू सीधा कर ही लिया

50. उधेड़बुन में पड़ना – सोच विचार में पड़ना – अचानक किसी समस्या के आ जाने पर कोई भी व्यक्ति उधेड़ बन में पड़ जाता है

51. उल्टी गंगा बहाना – असंभव काम करना – इस गदहे को पढ़ाना उल्टी गंगा बहाने के समान है

52. उल्टे अस्तुरे से मूड़ना – मूर्ख बनाकर ठगना – उस ठग ने आज मुझे उल्टे अस्तुरे से मूड़ लिया

53. उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना – थोड़ा सा लेकर पूरा लेने की इच्छा करना – ‘मोहनलाल से सावधान रहना ही अच्छा है, वह उँगली पकड़कर पहुँचा पकड़नेवाला आदमी है

54. उँगली पर नचाना – वश में करना – आपके अधीन हूँ इसका मतलब यह नहीं है कि आप हर समय मुझे ऊँगली पर नचाते रहें

55. न उधी का लेना न माधो का देना – किसी से कोई संबंध नहीं रखना – चाहे जो कहो, श्याम है खरा आदमी वह न ऊधी का लेता है न माधी को देता है

56. एँड़ी चोटी का पसीना एक करना – बहुत मेहनत करना – इस काम को समय पर पूरा करने के लिए उसे एँड़ी चोटी का पसीना एक करना पड़ा है

57. एक आँख न भाना – जरा भी अच्छा न लगना – अपनी बेटी के साथ तुम्हारा ऐसा दुव्र्यवहार मुझे एक आँख भी नहीं भाता है

58. एक एक ग्यारह होना – एकता के सूत्र में बँधकर शक्तिशाली होना – शत्रुओं ने दोनों भाइयों को खूब सताया, लेकिन अब वे दोनों भाई मिलकर एक एक ग्यारह हो गये हैं अब वे अपने शत्रुओं का डटकर मुकाबला करेंगे

59. एक टाँग (पैर) पर खड़ा रहना – काम करने के लिए सदा तैयार रहना – जब तक बहन की शादी सम्पन्न नहीं हुई, भूषण एक टाँग पर खड़ा रहा

60. एक लाठी से हाँकना – सबके साथ एकसमान व्यवहार करना – सबको एक लाठी से हाँकना बुद्धिमानी नहीं है

61. एक हाथ से ताली न बजना – बिना सहयोग के काम का नहीं होना – एक हाथ से ताली नहीं बजती, गलती दोनों ने की है

62. ऐसी तैसी करना – बेइज्जत करना – सब के सामने ही देवेंद्र ने अपने बड़े भाई की ऐसी तैसी कर दी

63. ओखल में सिर देना – जान बूझकर मुसीबत में पड़ना – जब ओखल में सिर दे दिया है, तब मूसल की क्या परवाह

64. औधी खोपड़ी का होना – मूर्ख होना – उसे समझाना ही बेकार है, वह बिल्कुल औधी खोपड़ी का आदमी है

65. औधे मुँह गिरना – बुरी तरह धोखा खाना – इस बार की खरीदारी में बेचारे की एक न चली, उलटे वह औधे मुँह गिरा

66. कटक बनना – बाधक होना – तुम तो मेरे हर काम में कटक बन जाते हो

67. ककड़ी खीरा समझना – महत्वहीन समझना – वे गरीब हैं तो क्या हुआ, आदमी तो हैं, उन्हें तुम ककड़ी खीरा मत समझा करो

68. कटे (जले ) पर नमक छिड़कना – दु:ख बढ़ाना – बेचारी एक तो ऐसे ही दुखों से

69. कफन सिर से बाँधना – मौत या खतरे की परवाह नहीं करला – बहुतेरे नवयुद्ध कफन सिर से बाँधकर आजादी की लड़ाई में कूद पड़े थे

70. कमर कसना – तैयार होना – यदि युद्ध में विजय चाहते हो तो मरने मारने के लिए कमर कस लो

71. कमर टूटना – उत्साहहीन होना, असहाय होना – सीमा संघर्ष में अपने सैनिक साज सामान को बर्बाद होते देखकर पाकिस्तानी फौज की कमर ही टूट गयी

72. कलेजा का टुकड़ा – बहुत प्यारा – सौमित्र अपनी माँ के कलेजे का टुकड़ा था

73. कलेजा चीरकर दिखाना – पूरा विश्वास देना, कोई कपट न रखना – तुम्हारे लिए दिल में कितना प्यार है, यह मैं कलेजा चीरकर दिखा सकता हूँ

74. कलेजा टूक टूक होना – बहुत दु:ख होना – कैकेयी की बात सुनते ही महाराज दशरथ का कलेजा टूक टूक हो गया

75. कलेजा ठंढा होना – संतोष होना – राम के वन जाते ही दासी मंथरा का कलेजा ठंढा हा गया

76. कलेजा थामकर रहना – मन मसोसकर रहना – परशुराम की जली कटी बातें सुनकर लक्ष्मण को बहुत क्रोध हुआ, किंतु श्री राम के समझाने बुझाने पर वे कलेजा थामकर रह गये

77. कलेजा निकालकर रख देना – सच्ची बात कह देना – मैंने कलेजा निकालकर रख दिया, फिर भी तुम्हें विश्वास नहीं होता ?

78. कलेजा मुँह को आना – घबराना – उसकी विपत्ति की कहानी सुनकर कलेजा मुँह को आ जाता है

79. कलेजे पर साँप लोटना – ईष्या या जलन होना – मेरी तरक्की देखकर उसके कलेजे पर साँप लौट गया है, इसलिए उसने मेरे बारे में गलत प्रचार करना शुरू कर दिया है

80. काठ की हाँड़ी – अस्थायी चीज – इस बार तो तुम्हारी चाल सफल हो गयी, लेकिन काठ की हाँडी बार बार चूल्हे पर नहीं चढ़ती

81. कान ऐंठना – सुधरने की प्रतिज्ञा करना – मैं कान ऐंठता हूँ कि अब ऐसे गलत काम कभी नहीं करूंगा

82. कान काटना – मात करना – बुद्धि में तो वह वृहस्पति के भी कान काटता है

83. कान पर जूं न रेंगना – कुछ भी ध्यान न देना – मैं इतनी देर से चिल्ला रहा हूँ, लेकिन तुम्हारे कान पर जू तक नहीं रेंगती

84. कान भरना – शिकायत करना – आज कई दिनों से वह मुझसे बात तक नहीं करता, लगता है कि किसी ने मेरे विरुद्ध उसके कान भर दिये हैं

85. कान में तेल डालकर बैठना – ध्यान न देना – इतनी देर से बुला रहा था, लेकिन तुम तो कान में तेल डालकर बैठे थे

86. काम आना – वीरगति को प्राप्त होना – नेप्फा की लड़ाई में चीन के बहुतेरे सिपाही काम आये

87. काम तमाम करना – मार डालना – शिवाजी ने अपने बघनखे से अफजल खाँ का काम तमाम कर दिया

88. कीचड़ उछालना – निंदा करना, बदनाम करना – भले आदमियों पर व्यर्थ कीचड़ उछालने की तो उसकी पुरानी आदत है

89. कील काँटे से दुरुस्त होना – अच्छी तरह से तैयार होना – आज मैं अपना काम पूरा था किये बगैर नहीं रहूँगा, क्योंकि आज मैं कील काँटे से दुरुस्त होकर आया हूँ

90. कुएँ में भाँग पड़ना – सब की बुद्धि मारी जाना – किस किस को समझाया जाय यहाँ तो कुएँ में ही भाँग पड़ी है

91. कुत्ते की मौत मरना – बुरी तरह मरना – अगर तुम्हारी ऐसी ही आदतें बनी रहीं, तो तुम कुत्ते की मौत मरोगे

92. कुम्हड़े की बतिया – कमजोर आदमी – रमेश ने नरेश को बिल्कुल कुम्हड़े की बतिया ही समझ लिया है, बात बात में उसे धमकाते रहता है

93. कुहराम मचाना – खूब रोना पीटना – बंगाली बाबू की मौत की खबर आते ही उनके घर में कुहराम मच गया

94. कौड़ी का तीन होना – बहुत सस्ता होना, बेकदर होना – तुम जैसे आवारा के साथ रहकर वह भी कौड़ी का तीन हो गया

95. खबर लेना – दंड देना, देखभाल करना – रामप्रसाद, तुम्हारी काफी शिकायतें सुनने को मिल रही हैं, आज शाम को मैं तुम्हारी खबर लुंगा

96. खाक उड़ाते फिरना – भटकना – अपनी सारी जमा पूँजी बर्बाद करके अब वह खाक उड़ाते फिर रहा है

97. खाक में मिलना – बर्बाद हो जाना – खुदा की बुराई करोगे तो खाक में मिल जाओगे

98. खिलखिला पड़ना – खुश होना, खुलकर हँस पड़ना – खिलौनों को देखते ही गुड़िया रानी खिलखिला पडी

99. खुशामदी टट्टू होना – चापलूस होना – तुम्हारी क्या तुम तो खुशामदी टट्टू हो, किसी न किसी तरह अपना काम करवा ही लोगे

100. खून की नदी बहाना – बहुत मार काट करना – क्रूर नादिरशाह ने दिल्ली में खून की नदी बहा दी थी

101. खून खौलना – बहुत क्रोध होना – दु:शासन द्वारा द्रौपदी को अपमानित होते देखकर भीम का खून खौलने लगा

102. खेत आना – लड़ाई में मारा जाना – 1971 के युद्ध में पाकिस्तान के हजारों सैनिक खेत आये

103. ख्याली पुलाव पकाना – बेसिर पैर की बातें करना, असंभवं बातें सोचना – कुछ काम भी करोगे या सिर्फ ख्याली पुलाव ही पकाते रहोगे ?

104. गड़े मुर्दे उखाड़ना – पुरानी बातें सामने लाना – मेरा काम गड़े मुर्दे उखाड़ना नहीं है, लेकिन पूरी बात समझाने के लिएँ इस घटना का इतिहास तो मुझे बताना ही होगा

105. गड्ढे खोदना – दूसरे के नुकसान के लिए जाल बिछाना – जो दूसरों के लिए गड्ढे खोदता है, वह उसमें खुद गिरता है

106. गहरी छनना – गाढ़ी मित्रता होना – इन दिनों राम और श्याम में गहरी छन रही है

107. गाँठ बाँधना – अच्छी तरह याद रखना – पिताजी की सीख गाँठ बाँध लो, नहीं तो बाद में बहुत पछताओगे गाँठ का पूरा होना

108. गिरगिट की तरह रंग बदलना – बहुत जल्दी जल्दी विचार बदलना – उसकी बात का क्या भरोसा ? वह तो गिरगिट की तरह रंग बदलता रहता है

109. गुड़ गोबर करना – बना बनाया काम बिगाड़ देना – बड़ी मुश्किल से मैंने उसे इस काम के लिए तैयार किया था, लेकिन तुम्हीं ने आकर सारा गुड गोबर कर दिया

110. गुल खिलाना – अनोखे काम करना – ऐन मौके पर उसने ऐसा गुल खिलाया कि लोगों के होश गुम हो गये

111. गाजर मूली समझना – छोटा या कमजोर समझना – हम अपने दुश्मनों को गाजर मूली समझते हैं

112. गोटी लाल होना – लाभ होना – तुम्हारी क्या, अब तो तुम्हारी गोटी लाल हो रही है

113. गोली मारना – उपेक्षा से त्याग देना – बेकार की बातों की गोली मरो, अपने काम में मन लगाओ

114. गोलमाल करना – गड़बड़ करना – बड़ा बाबू आफिस में बहुत दिनों से कुछ गोलमाल कर रहे थे, आज पकड़ में आये हैं

115. घड़ों पानी पड़ जाना – अत्यधिक शर्मिदा होना – उसने काम ही ऐसा किया है कि जब भी मैं उसकी चर्चा करता हूँ, मूझ पर घड़ों पानी पड़ जाता है

116. घर का न घाट का – एकदम बेकार, अनुपयोगी – इधर नौकरी छूटी उधर पिताजी का साया सिर से उठ गया, बेचारा अभय अब न तो घर का रहा न घाट का

117. घाट घाट का पानी पीना – बहुत अनुभवी होना – रघु को ठगना आसान नहीं, वह घाट घाट का पानी पी चुका है

118. घुटना टेक देना – हार मान लेना – भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से परेशान होकर ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों के आगे घुटने टेक दिये

119. घुला घुला कर मारना – परेशान करके मारना – कठोरहृदया सास ने बेचारी रमा बहू को घुला घुला कर मार डाला

120. घोड़ा बेचकर सोना – निश्चित होकर सोना – वह तो बिल्कुल बेखबर था, जैसे घोड़ा बेचकर सोया हो

121. चंगुल में आना (पड़ना) – काबू में आना – उसे पहले मेरे चंगुल में पड़ने दो, फिर देखना कैसा मजा चखाता हूँ

122. चडाल चौकड़ी – दुष्टों का दल, मनचलों का जमघट – वह तो अपनी चंडाल चौकड़ी में ही मस्त है, मेरी क्या खाक सुनेगा ?

123. चक्कर में डालना – परेशान करना – उसने मुझसे रुपये लेकर मुझे चक्कर में डाल दिया

124. चक्कर में आना – धोखा खाना – न जाने कैसे वह उस धूर्त के चक्कर में आ गया

125. चकमा देना – ठगना – नंदलाल से सावधान रहना, वह तुम्हें भी चकमा दे सकता है

126. चल निकलना – प्रसिद्ध होना, जम जाना – इन दिनों चुस्त पोशाक का फैशन खूब चल निकला है

127. चाँदी काटना – खूब कमाना, मौज करना – गल्ले के व्यापार में वे खूब चाँदी काट रहे हैं

128. चाँदी का जूता मारना – घूस देना – इस युग में जिसे भी चाँदी का जूता मारोगे, वही तुम्हारा काम कर देगा

129. छाती पर मूंग दलना – किसी के सामने ही ऐसी बात कहना, जिससे उसका जी दुखें – जितना जी चाहे मुझे सता लो, लेकिन मैं जबतक जिंदा रहूँगी, तुम्हारी छाती पर मूंग दलती रहूँगी

130. छाती पर साँप लोटना – ईष्या या जलन होना – दूसरे की तरक्की देख्कर उसकी छाती पर साँप लौटने लगता है

131. छान बीन करना – पूछताछ या जाँच करना – बहुत छान बीन करने पर भी पुलिस चोरी का सुराग नहीं पा सकी

132. छीछालेदर करना – हँसी उड़ाना, दुर्गति करना – आज की सभा में रामदेव बाबू ने नेताओं की खूब छीछालेदर की

133. छू मंतर होना – भाग जाना – पुलिस को देखते ही सारे जुआड़ी छू मंतर हो गये

134. जंजाल में फसना – झंझट में पड़ना – बेचारा घर गृहस्थी के जंजाल में फस गया है, अब भजन कीर्तन के लिए उसे समय कहाँ मिलता है

135. जख्म (जले ) पर नमक छिड़कना – दु:ख पर दु:ख देना – इन गरीबों पर और अत्याचार करके उनके जख्म (जले) पर नमक मत छिडकी

136. जड़ उखाड़ना – समूल नाश करना – गाँधीजी के सत्याग्रह ने ब्रिटिश साम्राज्य की भारत से जड़ उखाड़ दी

137. जबानी जमा खर्च करना – केवल बात करना, कुछ काम न करना – केवल जबानी जमा खर्च मत करो, कुछ काम भी किया करो

138. जमीन आसमान एक करना – बहुत बड़े बड़े उपाय करना – चुनावों में सफलता पाने के लिए उन्होंने जमीन आसमान एक कर दिया था

139. जमीन पर नाक रगड़ना – पछताना, माफी माँगना – आज चाहे जितना अकड़ लो कल तो जमीन पर नाक रगड़ोगे ही

140. जमीन पर पैर न रखना – बहुत घमंड करना – आजादजी जब से मंत्री बने हैं, जमीन पर पैर नहीं रखते

141. जलती आग में घी डालना – लड़ाई बढ़ाना – चैन सिंह को तो मुझसे पुरानी दुश्मनी थी ही, लेकिन तुमने उसे इस बात की याद दिलाकर जलती आग में घी डाल दिया है

142. जली कटी सुनाना – डॉट फटकार करना – गुस्सा तो मुझे बहुत दिनों से था, लेकिन कल ही वे पकड़ में आये और मैंने उन्हें खूब जली कटी सुना दी

143. जहर का घूंट पीना – क्रोध को दबा लेना – उसके दुव्यवहार पर मुझे गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन परिस्थिति कुछ ऐसी थी कि जहर का घूंट पीकर रह जाना पडा

144. जी की जी में रहना – इच्छा अधूरी रहना – मैंने अपने बेटे को खूब पढ़ाना लिखाना चाहा था, लेकिन पैसे के अभाव में मेरी जी की जी में रह गयी

145. जी नहीं भरना – संतोष नहीं होना – धन चाहे जितना भी मिले, पर इससे किसी का जी नहीं भरता

146. जी भर आना – दया होना – गरीबों को देखकर जिसका जी भर आये, वही सच्चा महात्मा है

147. जीती मक्खी निगलना – सरासर बेईमानी करना – वह ऐसा घाघ है कि आँखों के सामने ही जीती मक्खी निगल जाता है और किसी को पता तक नहीं चलता

148. जीवन दान बनना – जीवन की रक्षा करना – डॉक्टर की दवा रोगी के लिए जीवन दान बन गयी

149. जूतियाँ सीधी करना – बहुत खुशामद करना – यदि तुम्हें उनसे अपना काम निकालना है, तो उनकी जूतियाँ सीधी किया करो

150. जोर लगाना – बल प्रयोग करना – रावण ने बहुत जोर लगाया, लेकिन शिव धनुष टस से मस न हुआ

151. झक मारना – विवश होना, व्यर्थ समय बिताना – उसके पास मुझे सहायता के लिए झक मारकर जाना पडा

152. झाँसा देना – धोखा देना – लखिया ने झाँसा देकर मेरे बेटे की घड़ी हथिया ली

153. झाड़ फेरना – मान नष्ट करना – एक नीच आदमी से रिश्ता जोड़कर तुमने पूरे परिवार की मर्यादी पर झाड़ फेर दिया है

154. झाड़ मारना – तिरस्कार करना, दूर हटाना – जरा सी बात पर माँ ने उसे झाड़ मारकर बाहर निकाल दिया झूठ का पुल बाँधना – बहुत झूठ बोलना – सच्ची सच्ची बात ही कह दो, अब झूठ का पुल बाँधने से क्या फायदा ?

155. टक्कर लेना – मुकाबला करना – तबला वादन में कंठे महाराज से टक्कर लेना आसान नहीं था

156. टका सा जवाब देना – इनकार कर देना – मैं नौकरी के लिए बड़ी आशा लेकर गया था, लेकिन सेठजी ने टका सा जवाब दे दिया

157. टका सा मुँह लेकर रह जाना – शर्मिदा होना – पिताजी के पहुँचते ही जुआरी गजाधर टका सा मुँह लेकर रह गया

158. टट्टी की ओट में शिकार खेलना – छिपकर गलत काम करना – आजकल के नेता टट्टी की ओट में शिकार खेलना खूब जानते हैं

159. टस से मस ना होना – थोड़ा सा भी न हिलना – उसे बहुत प्रलोभन दिया गया, लेकिन वह अपनी बात से टस से मस न हुआ

160. टाएँ टाएँ फिस होना – असफल हो जाना – उसने योजना तो खूब सोच समझकर बनायी थी, लेकिन वह टाएँ टाएँ फिस हो गयी

161. टाल मटोल करना – बहाने करना – अगर मेरे रुपये वापस करना है, तो कर दो, टाल मटोल करके मुझे व्यर्थ परेशान मत करो

162. टूट पड़ना – वेग से धावा बोलना – शिवाजी के सैनिक अचानक बगल की पहाड़ी से निकलकर मुगल फौज पर टूट पड़े

163. टाँग अड़ाना – दखल देना, अडचन डालना – हर बात में टाँग अडाना मूखों का ही काम है

164. टेढ़ी उँगली से घी निकालना – आसानी से काम न होना – उससे कोई काम करवा लेना टेढ़ी ऊँगली से घी निकालने जैसा ही है

165. टेढ़ी खीर होना – मुश्किल काम – इसे सही रास्ते पर लाना टेढ़ी खीर है

166. ठंढा करना – शांत करना – पिताजी तो गुस्से से उबल रहे थे, बड़ी मुश्किल से मैंने उन्हें समझा बुझाकर ठंढा किया है

167. ठंढा होना – शांत होना, मर जाना – शाइस्ता खाँ शिवाजी की चोट खाकर थोडा छटपटाया फिर एकदम ठंढा हो गया

168. ठकुर सुहाती करना – मुँहदेखी करना, चापलूसी करना – अफसरों की ठकुर सुहाती करके सेठजी ने काफी धन कमा लिया

169. ठनठन गोपाल होना – निर्धन होना – वह तो इन दिनों खुद ही ठनठन गोपाल है, उससे चंदा पाने की आशा मत करो

170. ठोकर खाना – नुकसान सहना, मारा मारा फिरना – क्या ऐसे ही ठोकर खाते फिरोगे या कुछ कमाने का भी उपाय करोगे ?

171. डंक मारना – कटु वचन कहना – उसने अपनी कड़वी बातों का ऐसा डक मारा कि मैं मर्माहत होकर रह गया

172. डंके की चोट पर कहना – खुल्लम खुल्ला कहना – बात सच्ची थी तभी तो डके की चोट पर कही गयी

173. डूबते को तिनके का सहारा होना – असहाय का कुछ भी सहारा होना – ऐसी विकट परिस्थिति में तुम्हारी यह छोटी रकम भी डूबते को तिनके का सहारा होगी

174. डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाना – अपनी तुच्छ राय अलग रखना – यदि हम इसी प्रकार डेढ़ चावल की खिचड़ी अलग पकाते रहे, तो हममें एकता कभी भी नहीं आयेगी

175. ढाई दिन की बादशाहत – क्षणिक सुख – यह ढाई दिन की बादशाहत भी किस काम ‘ की, जबकि तकदीर में सारी जिंदगी दु:ख भोगना ही लिखा है

176. ढाक के तीन पात – सदा एक सा रहना – यह आदमी तरक्की करनेवाला नहीं है, जब भी मैंने देखा, इसे वही ढाक के तीन पात पाया

177. ढिंढोरा पीटना – सबको सुनाना – उसने हमारी बातें सुन ली हैं, अब पूरे गाँव में ढिंढोरा पीटता फिरेगा

178. ढेर करना – मार डालना – बलराम ने गदा की एक ही चोट से दुष्ट राक्षस को वहीं ढेर कर दिया |

179. तकदीर चमकना – भले दिन आना – बेटे की नौकरी क्या मिली, राम बाबू की तकदीर चमक गयी

180. तख्ता उलटना – बना बनाया काम बिगाड़ना – इस व्यवसाय में मैंने अच्छा कमाया था, लेकिन गेहूँ का सौदा करके तुमने मेरा तख्ता उलट दिया

181. तबीयत फड़क उठना – चित्त प्रसन्न हो जाना – पंकज उदास की गजल सुनकर मेरी तबीयत फड़क उठी

182. तलवार के घाट उतारना – हत्या कर देना – उस वीर ने अत्याचारी को अपनी तलवार के घाट उतार दिया

183. तलवे धो धोकर पीनां – बहुत अधिक खुशामद करना – वह सेठजी के तलवे धो धोकर पीता रहा, लेकिन बदले में उसे गालियाँ ही मिलीं

184. ताक में रहना – मौका देखते रहना – तुम सावधान रहना, इन दिनों वह तुम्हारी ही ताक में रहता है

185. ताना मारना – व्यंग्य करना – मेरी गरीबी पर वह नीच हमेशा ताना मारा करता है

186. तारे गिनना – चिंता में रात काटना – आपके इंतजार में मैं सारी रात तारे गिनता रहा

187. तारे तोड़ लाना – असंभव काम करना – साहसी व्यक्ति सहज ही तारे तोड लाते हैं

188. तिनके का सहारा – थोड़ा सा सहारा – मुझ जैसे गरीब को तो तिनके का सहारा भी बहुत होता है

189. तिल का ताड़ कर देना – बहुत बढ़ा चढ़ाकर कहना – जितनी बात हुई उतनी ही कहो, तिल का ताड मत करो

190. त्राहि त्राहि करना – रक्षा के लिए गुहार करना – जमींदारों के अत्याचार से किसान त्राहि त्राहि कर रहे थे

191. थुड़ी थुड़ी करना – धिक्कारना – उसके ऐसे नीच कर्म पर सभी थुड़ी थुड़ी कर रहे थे

192. थू थू करना – धिक्कारना – तुम्हारी नीचता की कहानी जो भी सुनेगा वही तुम पर थू थू करेगा

193. थूककर चाटना – वादा से मुकर जाना – तुम्हारे जैसे आदमी का क्या विश्वास? तुम तो थूककर चाटने लगते हो

194. थूक से सत्तू सानना – बहुत कंजूसी करना – रामजीवन से चंदा पाने की उम्मीद मत रखो, वह हमेशा थूक से सत्तू सानता है

195. थोथी बात होना – सारहीन बात होना – ये सब थोथी बातें हैं, इन पर कोई भी विश्वास नहीं करेगा

196. दबी जबान से कहना – धीरे धीरे कहना – नौकर ने अपनी बात मालिक से दबी जबान से कह दी

197. दम भरना – भरोसा करना, हर समय किसी की तारीफ करना – वह तो हमेशा तुम्हारी दोस्ती का दम भरा करता था

198. दर दर मारा फिरना – दुर्दशाग्रस्त होकर घूमना – याद रखो, यदि यह नौकरी तुमने छोड़ दी, तो तुम्हें जिंदगी भर दर दर मारे फिरना होगा

199. दलदल में फसना – मुश्किल में पड़ना – मैं उस बदमाश की जमानत देकर दलदल में फंस गया

200. दाँतों उँगली दबाना (दाँत तले उँगली दबाना) – आश्चर्य करना, अफसोस करना – इस बच्चे की बातें सुनकर तो दाँतों उँगली दबाना पड़ता है

201. दाँतकटी रोटी होना – गहरी दोस्ती होना – नरेश और मोहन में आजकल दाँतकटी रोटी जैसा सम्बन्ध है

202. दाँत तोड़ना – परास्त करन – मुझसे ज्यादा उलझने की कोशिश करोगे तो मैं तुम्हारे दाँत तोड़ डालूँगा

203. दाँतों में तिनका लेना – अधीनता स्वीकार करना – वीर शिवाजी के वहाँ पहुँचते ही उस किले का रक्षक दाँतों में तिनका लेकर उनके सामने उपस्थित हुआ

204. दाई से पेट छिपाना – ऐंसी जगह भेद छिपाना जहाँ ऐसा करना संभव नहीं हो – उसने अपना भेद मुझसे कह ही दिया, भला कब तक दाई से पेट छिपाता ?

205. दाना पानी उठना – अन्न जल न मिलना – जब से बाबू साहब की मौत हुई है, बेचारे रघुआ का इस घर से दाना पानी उठ गया

206. दाने दाने को मुँहताज – भोजन न पाना, अत्यंत दरिद्र – नौकरी से हटा दिये जाने पर तो मैं दाने दाने को मुँहताज हो जाऊँगा

207. दाल गलना – मतलब निकलना – चाहे तुम कुछ भी करो, यहाँ तुम्हारी दाल गलने वाली नहीं है

208. दाल भात का कौर समझना – बहुत आसान समझना – इस काम को तुम, दाल भात का कौर मत समझ लेना

209. दाल में काला होना – संदेह की बात होना – तुम्हारे रंग ढंग से लगता है कि जरूर दाल में कुछ काला है

210. दिन दूना रात चौगुना होना (या बढ़ना) – खूब तरक्की करना – भाई, जब से तुमने गल्ले का व्यापार शुरू किया है, दिन दूना रात चौगुना होते जा रहे हो

211. दिल के फफोले फोड़ना – मन की भडास निकालना – साहब बीबी से झगड़कर आये थे, घर में तो चली नहीं, मुझ पर ही बिगड़कर अपने दिल के फफोले फोड़ रहे थे

212. दिल्ली दूर होना – लक्ष्य दूर होना – अभी तो मैट्रिक की परीक्षा में ही उत्तीर्ण हुए हो और मजिस्ट्रप्टे बनने का सपना देख रहे हो, अभी दिल्ली दूर है

213. दीन दुनिया भूल जान – सुध बुध भूल जाना – सच्चे महात्मा ईश्वर की साधना में डूबकर दीन दुनिया भूल जाते हैं

214. दीया लेकर ढूँढना – हैरान होकर ढूँढना – उसके जैसा ईमानदार नौकर तो दीया लेकर ढूँढने से भी नहीं मिलेगा

215. दुनिया की हवा लगना – सांसारिक अनुभव होना – जब से जुगल को दुनिया की हवा लगी है, वह मितव्ययी हो गया है

216. दुम दबाकर भागना – कायरतापूर्वक भागना – वह बहुत देर से शेखी बघार रहा था, लेकिन जैसे ही वहाँ मेरे आदमी पहुँचे, दुम दबाकर भाग गया

217. दूज (ईद) का चाँद होना – मुश्किल से दिखाई देना – यार तुम्हें देखने को तरस गया, तुम तो दूज (ईद) के चाँद हो गये हो

218. दूध का दूध पानी का पानी करना – पक्षपातरहित न्याय करना – महाराज हरिश्चंद्र ऐसे न्यायी थे कि चाहे जैसा भी झगड़ा हो, क्षणभर में दूध का दूध पानी का पानी कर देते थे

219. दूध की लाज रखना – माँ की प्रतिष्ठा रखना – युद्ध में जाते समय बेटे को आशीर्वाद देते हुए माँ ने कह, बेटा, लडाई में जीतकर मेरे दूध की लाज रखना

220. दूध की नदियाँ बहाना – संपन्नता की भरमार होना – प्राचीन भारत में दूध की नदियाँ बहती थी

221. दूध के दाँत न टूटना – अनुभवहीन होना – तुम तो कभी कभी ऐसी बातें करने लगते हो जिनसे लगता है कि अभी तक तुम्हारे दूध के दाँत न टूटे हों

222. दूधो नहाओ, पूतों फलो – धन और संतान की वृद्धि होना – बहू ने जैसे ही सास के पाँव छूए, उसने आशीर्वाद दिया दूधी नहाओं, पूतों फलो

223. दो दिन का मेहमान – शीघ्र ही मरनेवाला, या कहीं बाहर जानेवाला – चाचाजी की बीमारी बहुत बढ़ गयी है, अब तो वे दो दिन के मेहमान हैं

224. दो नावों पर पैर रखना – दो विरोधी काम एकसाथ करना – दो नावों पर पैर रखना सफलता से दूर भागना है

225. द्रविड़ प्राणायाम करना – सीधी बात को घुमा फिराकर कहना – जो कुछ कहना है सीधे सीधे कहो, द्राविड प्राणायाम मत करो

226. धक्का लगना – नुकसान होना, दु:ख होना – पिछले साल जूट के व्यापार में लालाजी को गहरा धक्का लगा था

227. धज्जियाँ उड़ाना – दुर्गति करना, दोष दिखाना – शशि बाबू ने उस धोखेबाज की ऐसी धज्जियाँ उड़ायीं कि वह अपना सा मुँह लेकर रह गया

228. धता बताना – टाल देना – मैं सहायता की आशा लेकर नेताजी के पास गया था, परंतु उन्होंने तो मुझे धता बता दिया

229. धरना देना – सत्याग्रह करना – आँदोलनकारी कर्मचारी मंत्रीजी के कार्यालय के सामने धरना दे रहे हैं

230. धुएँ के बादल उड़ाना – भारी गप हाँकना – उसका विश्वास कभी मत करना, धुएँ के बादल उड़ाने में वह माहिर है

231. धुन सवार होना – किसी काम को पूरा करने की लगन होना – इन दिनों परमेश्वर बाबू पर पैसा कमाने की धुन सवार हो गयी है

232. धूप में बाल सफेद करना – अनुभवहीन होना – अफसोस है कि तुम्हें इस उम्र में भी इन बातों की जानकारी नहीं है, तुमने क्या धूप में बाल सफेद किये हैं ?

233. धूल फाँकना – मारा मारा फिरना – पढ़ाई लिखाई छोड़कर रवींद्र इधर उधर की धूल फाँका करता है

234. धूल में मिलना – बर्बाद हो जाना – अपने से ताकतवर के साथ टकरानेवाले धूल में मिल जाते हैं

235. धोती ढीली होना – डर जाना – नये नये शिकारी का जैसे ही बाघ से सामना हुआ, उसकी धोती ढ़ीली हो गयी

236. धोबी का कुत्ता – बेकार आदमी – उसकी बात मत पूछो, वह तो धोबी का कुत्ता है, किसी काम का नहीं

237. नजर पर चढ़ना – पसंद आ जाना – लगता है तुम्हारा छाता चोर की नजर पर चढ़ गया था

238. नमक मिर्च लगाना – किसी बात को खूब बढ़ा चढ़ाकर कहना – उसने खूब नमक मिर्च लगाकर मेरी शिकायत पिताजी से की है

239. नाक कट जाना – प्रतिष्ठा नष्ट होना – तुम्हारी चोरी की इस करतूत से परिवार की नाक कट गयी

240. नाक का बाल होना – बहुत प्रिय होना – अपनी चतुराई के कारण ही बीरबल अकबर की नाक के बाल हो गये थे

241. नाकों चने चबवा देना – खूब परेशान करना – वीर शिवाजी ने छापामार युद्ध करके औरंगजेब को नाकों चने चबवा दिये थे

242. नाक भौं चढ़ाना – नाराज होना, घृणा प्रकट करना – गंदगी को देखकर सभी नाक भौं चढ़ाने लगते हैं

243. नाक में दम करना – खूब तंग करना – अपनी शैतानियों से तो इसने मेरी नाक में दम कर दिया है

244. नाक रगड़ना – गिड़गिड़ाना, विनती करना – तुम लाख नाक रगड़ो, लेकिन इस बार मैं तुम्हें माफ नहीं करूंगा

245. नानी याद आना – होश उड़ जाना, हौसला पस्त होना – पुलिस को देखते ही चोरों को नानी याद आ गयी

246. नीचा दिखाना – अपमानित करना – आज उसने सबके सामने ही मुझे नीचा दिखाया है

247. नीला पीला होना – क्रोध करना – छोटी छोटी बातों के लिए बच्चों पर नीला पीला मत हुआ करो

248. नौ दो ग्यारह होना – भाग जाना – वह बदमाश मेरी गठरी लेकर नौ दो ग्यारह हो गया

249. पंचतत्व को प्राप्त करना – मृत्य होना – 30 जनवरी, 1948 ई० को गाँधीजी ने पंचतत्व को प्राप्त किया था

250. पगड़ी उछालना – बेइज्जत करना, हँसी उड़ाना – तुमने कल सबके सामने मेरी पगडी उछाली है, इसका बदला मैं तुमसे जरूर लूँगा

251. पगड़ी रखना – मर्यादा की रक्षा करना – भाई ऐसी हालत में तुम्हीं मेरी पगड़ी रख सकते हो, नहीं तो मैं किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहूँगा

252. पत्थर की लकीर – अमिट, स्थायी – मेरी बात को पत्थर की लकीर समझो

253. पत्थर पर दूब जमना – अनहोनी बात या असंभव काम होना – उस कजूस ने जब चंदा में एक सौ एक रुपये दे दिये तो लगा कि जैसे पत्थर पर दूब जम आयी है

254. पत्थर से सिर फोड़ना – असंभव बात के लिए कोशिश करना – उस मूख को समझाने की कोशिश करके क्यों पत्थर से सिर फोड़ रहे हो ?

255. पहाड़ से टक्कर लेना – जबर्दस्त से मुकाबला करना – काले खाँ पहलवान से भिड़ना पहाड़ से टक्कर लेना है

256. पाँव उखड़ जाना – हार जाना – हमारे जवानों की ललकार सुनते ही पाकिस्तानी घुसपैठियों के पाँव उखड़ गये

257. पाँव फूंक फूंक कर रखना – सोच समझकर काम करना – जवानी अंधी हाती है, अत: इस अवस्था में पाँव फूंक फूंक कर रखना चाहिए

258. पजामे से बाहर होना – कुद्ध होना, जोश में आना – नौकर ने चाय लाने में जरा देर क्या कर दी साहब पाजामें से बाहर हो गये

259. पानी की तरह पैसा बहाना – अंधाधुंध खर्च करना – मुफ्त की दौलत मिल गयी है तभी तो वह पानी की तरह पैसा बहा रहा है

260. पानी पानी होना – लज्जित होना – शराब पीते हुए अचानक अपने पिता द्वारा देख लिये जाने पर बेचारा दामोदर पानी पानी हो गया

261. पानी में आग लगाना – असंभव को संभव करना – उन दोनों की पक्की दोस्ती में फूट डालकर तुमने पानी में आग लगा दी है

262. पिल पड़ना – जी जान से लग जाना – परीक्षा में प्रथम स्थान पाने के लिए सौमित्र अपने अध्ययन में पिल पड़ा है

263. पीठ ठोंकना – शाबाशी देना, बढ़ावा देना – परीक्षा में प्रथम आने पर पिताजी ने मेरी पीठ ठोंकी

264. पीठ दिखाना – लड़ाई में भाग जाना – थोड़ी देर की लड़ाई के बाद शत्रु ने पीठ दिखा दी

265. पेट में चूहे दौड़ना – जोरों की भूख लगना – माँ, जल्दी से कुछ खाने को दो, पेट में चूहे दौड़ रहे हैं

266. पौ बारह होना – लाभ का अवसर मिलना – इस वर्ष सब्जियों के दाम में तेजी आने के करण किसानों के पौ बारह हैं

267. प्राण मुँह को आना – अत्यधिक कष्ट होना – जंगल में अचानक शेर की दहाड सुनते ही मेरे प्राण मुँह को आ गले

268. प्राणों से हाथ धोना – मर जाना – यदि मुझसे दुश्मनी करोगे तो प्राणों से हाथ धोना पडेगा

269. प्राण हथेली में लेना – मरने के लिए तैयार रहना – बहादुर हर समय प्राण हथेली में लिये फिरते हैं

270. प्राणों की बाजी लगाना – अत्यधिक साहस करना – भारत के प्रहरी सैनिक देश रक्षा में प्राणों की बाजी लगा देते हैं

271. पोल खोलना – रहस्य प्रकट करना – आखिर एक दिन उनके नौकर ने ही यह पोल खोल दी कि नेताजी के पास इतना पैसा कहाँ से आता है

272. फंदे में पड़ना – धोखे में पड़ना – तुम लाख प्रलोभन दो, लेकिन अत मैं तुम्हारे फदे में नहीं पड़नेवाला

273. फटेहाल होना – बुरी हालत में होना – नौकरी छूट जाने के कारण इन दिनों वह फटे हाल हो गया है

274. फूंक से पहाड़ उड़ाना – थोडी शक्ति से बड़ा काम करना – अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश को चुनौती देकर इराक फुक से पहाड़ उड़ाना चाहता है

275. फूटी आँखों न भाना – अप्रिय लगना – तुम्हारी हर समय उधार माँगने की आदत मुझे फूटी आँखों भी नहीं भाती है

276. फूलकर कुप्पा होना – खुशी से इतराना – जब शिक्षक ने चंदन की प्रशंसा की तो वह फूलकर कुप्पा हो गया

277. फेर में डालना – कठिनाई में डालना – उसने चुनाव में खड़ा करके मुझे बड़े फेर में डाल दिया है

278. बगलें झाँकना – लज्जित होकर इधर उधर देखना – पिता जी से रंगे हाथो चोरी करते पकडे जाने पर वह बगले झाकने लगा

279. बट्टा लगाना – कलंक लगाना – अपना वचन तोड़कर तुमने क्षत्रियों के नाम पर बट्टा लगा दिया

280. बरस पड़ना – क्रोध में आकर खरी खोटी सुनाना – बच्चों की छोटी छोटी भूल पर भी बरस पड़ना बुरी बात है

281. बाग बाग होना – बहुत खुश होना – ‘तीसरी कसम’ फिल्म में राजकपूर का अभिनय देखकर तबीयत बाग बाग हो गयी

282. बाजी ले जाना – आगे निकल जाना – कल के फुटबॉल मैच में अपने कॉलेज की टीम बाजी ले गयी

283. बात चलाना – शुरू करना – इन दिनों मेरी बहन की शादी की बात चलायी जा रही है

284. बातों में आना – बात व्यवहार में धोखा खाना – न जाने उस समय मेरी बुद्धि को क्या हो गया था जो मैं उसकी बातों में आ गया

285. बाल बाँका न होना – कुछ भी हानि न पहुँचना – तुम्हारे आशीवाद से इस लड़ाई में मेरा बाल बाँका न होगा

286. बाल की खाल निकालना – निरर्थक बहस करना – हर बात में बाल की खाल निकालने की तुम्हारी तो आदत ही है

287. बासी कढ़ी में उबाल आना – बुढ़ापे में जवानी की उमंग उठना, समय बीत जाने पर कुछ करने की इच्छा होना – बूढ़े चट्टोपाध्याय महोदय का इस तरह से बनना सँवरना देखकर यही लगता है कि बासी कढ़ी में उबाल आ गया है

288. बीड़ा उठाना – किसी काम को पूरा करने का संकल्प करना – भगवान राम ने सुग्रीव की रक्षा का बीड़ा उठाया था

289. बुखार उतारना – क्रोध करना – बहुत मनमानी करने लगे हो, ऐसी मार मारूंगी कि बुखार उतार दूंगी

290. बेड़ा पार लगाना – कष्ट से उबारना – भगवान सबका बेड़ा पार लगाते हैं

291. बे सिर पैर की बात कहना – निरर्थक बात कहता – कुछ सोच समझकर बोला करो, बे सिर पैर की बात कहने से क्या फायदा ?

292. बेवक्त की शहनाई बजाना – अवसर के विरुद्ध काम करना – पूजा के अवसर पर फिल्मी गीत सुनाकर कुछ लोग बेवक्त की शहनाई बजाते हैं

293. बोलती बंद करना – निरुतर करना, बोलने न देना – सबके सामने पोल खोलकर शरत ने उसकी बोलती बंद कर दी

294. बौछार करना – अधिक मात्रा में उपस्थित करना – पुलिस ने भीड़ पर गोलियों की बौछार कर दी

295. भंडा फूटना – भेद खुलना – – एक न एक दिन तुम्हारे कुकर्मों का भंडा फूटेगा और तब लोग तुम पर थूकेंगे

296. भानुमती का पिटारा – वह पात्र, जिसमें तरह तरह की चीजें मौजूद रहती हैं – दादी के पास तो मानो भानुमती का पिटारा है, उनकी दवा पीते ही मुन्ना उछलने कूदने लगा

297. भार उठाना – उत्तरदायित्व लेना – इतने बड़े अनुष्ठान का भार उठाना एक अकेले के बस का नहीं है

298. भार उतारना – ऋण से मुक्त होना – भतीजी की शादी होते ही मेरे सिर से एक भार उतर जायगा

299. भूत सवार होना – सनक सवार होना – क्या तुम पर भूत सवार हो गया है, जो बच्ची को इस तरह पीट रहे हो ?

300. भौंह चढ़ाना – क्रोध करना – वह स्वभाव से ही क्रोधी है, छोटी छोटी बातों पर भी भौंह चढ़ा लेगा

301. मक्खी की तरह निकाल देना – किसी को किसी काम से बिलकुल अलग कर देना – अपने व्यवसाय के प्रारंभ में तो रमेश ने मुझे साथ रखा, किंतु व्यवसाय के चल निकलते ही उसने मुझे मक्खी की तरह निकाल दिया

302. मक्खी मारना (या उड़ाना) – बिलकुल निकम्मा रहना – सरकारी कानून के कारण बेचारे का कारबार चौपट हो गया, अब बैठा मक्खी मार रहा है

303. मगज खाना (या चाटना ) – बकबक कर तंग करना – कल से मेरी परीक्षा है, अत: मुझे पढ़ने दो, बेकार मेरे पास बैठकर मगज मत खाओ

304. मजा किरकिरा होना – रंग में भंग पड़ना – बारिश से मेला का सारा मजा किरकिरा हो गया

305. मन की मन में रहना – इच्छा पूरी न होना – तुमलोगों के साथ आगरा जाने की मेरी भी बड़ी इच्छा थी, किंतु बीमारी के कारण मेरी मन की मन में रह गयी

306. मन के लड्डू खाना – व्यर्थ की आशा में प्रसन्न होना – जब से ज्योतिषी ने उसे लॉटरी निकलने की बात कही है, वह मन के लड्डू खा रहा है

307. मन मैला करना – अप्रसन्न या असंतुष्ट होना – जरा जरा सी बात पर मन मैला करोगे तो यह संसार कैसे चलेगा ?

308. मशाल लेकर ढूँढना – अच्छी तरह ढूँढना – रमुआ जैसा ईमानदार और मेहनती नौकर तो आपको मशाल लेकर ढूँढने से भी नहीं मिलेगा

309. माथे पर बल पड़ना – चेहरे पर क्रोध, दु:ख या असंतोष आदि प्रकट होना – जैसे ही मैंने छुट्टी का अपना आवेदनपत्र सामने रखा, साहब के माथे पर बल पड़ गये

310. मारा मारा फिरना – बुरी दशा में इधर उधर घूमना – जब से आपने उसे नौकरी से जवाब दिया है, बेचारा मारा मारा फिर रहा है

311. मिट्टी के मोल बिकना – खूब सस्ता बिकना – इस साल आम मिट्टी के मोल बिका

312. मिट्टी पलीद करना – दुर्दशा करना – छात्रों ने उस देश द्रोही की खूब मिट्टी पलीद की

313. मुँह की खाना – बेइज्जत होना, बुरी तरह हार जाना – 1985 ई० के आम चुनाव में विपक्षी उम्मीदवारों को मुँह की खानी पडी

314. मुँह काला करना – व्यभिचार करना, बदनामी का काम करना – चोरबाजारी का काम करके आपने खुद ही अपना मुँह काला किया है

315. मुँहतोड़ जवाब देना – ठोस जवाब देना – उसकी हर बात का मैं मुँहतोड़ जवाब दूँगा

316. मुँहदेखी कहना – खुशामद करना, तरफदारी करना – अपना मतलब पूरा करने के लिए वह तो मुँह देखी कहेगा ही

317. मुँहमाँगी मुराद पाना – मनचाही वस्तु पाना – तुम बड़े भाग्यशाली हो जो इस नौकरी के रूप में मुँहमाँगी मुराद पा गये

318. मुँह में पानी भर आना – किसी चीज को पाने के लिए लालच होना – मिठाई देखकर उसके मुँह में पानी भर आया

319. मुँह में लगाम न होना – जो मुँह में आवे, सो कह देना – उसके मुँह में लगाम नहीं है, जो मन में आता है, कह डालता है

320. मुँह मोड़ना – विमुख होना – इन दिनों वह खेलकूद से मुँह मोड़कर पढ़ाई में लगा हुआ है

321. मुट्ठी गरम करना – घूस देना, रुपया देना | – बड़ा बाबू की मुट्ठी गरम किये बिना तुम्हारा काम नहीं होगा

322. मैदान साफ होना – कोई बाधा न होना – पिताजी के बाहर जाते ही मैदान साफ हो गया और रमेश खेलने के लिए निकल भागा

323. मैदान मारना (मैदान मार लेना) – जीत जाना – कल के फुटबॉल मैच में कॉलेज की टीम ने मैदान मार लिया

324. मौत का सिर पर खेलना – विपत्ति समीप होना, मरने की होना – क्या मौत सिर पर खेल रही है जो इस बढ़ी हुई नदी को पार करने जा रहे हो

325. मेढ़की को जुकाम होना – अनहोनी होना – बुढ़ापे में वह बाप बना है, लगता है मेढ़की को जुकाम हुआ है

326. यश कमाना – नाम हासिल करना – बाढ़ पीडितों की सहायता करके दामोदर बाबू ने बडा यश कमाया

327. यश मिलना – सम्मान मिलना – मैंने बहुत लोगों का भला किया, परंतु इसके लिए यश मिलना तो दूर रहा, उलटे बदनामी ही मिली

328. रंग उखड़ना – धाक न जमना, मजा बिगड़ जाना – ऐसी चाल चलेंगा कि इस महफिल से तुम्हारा सारा रंग उखड़ जायेगा

329. रंग उड़ना (या उतरना) – भय या लज्जा से चेहरा का बेरौनक हो जाना – जैसे ही मास्टर साहब ने सुरेश को परीक्षा में नकल करते हुए पकडा, बेचारे के चेहरे का रंग उड गया

330. रंग जमना – धाक जमना, समां बँधना, खूब आनंद मजा होना – कल की सभा में नेताजी का अच्छा रंग जमा

331. रंग में भंग पड़ना – आनंद में विध्न पड़ना – हमलोगों की महफिल खूब जमी थी, लेकिन अचानक श्याम के पिताजी के आ जाने से रंग में भंग पड़ गया

332. रंग लाना – असर दिखाना, विशेषता प्रकट करना – हिना पत्थर पर घिस जाने के बाद ही रंग लाती है

333. रंगे हाथों पकड़ना – अपराध करते हुए पकड लेना – पुलिस ने पॉकेटमार को रंगे हाथों पकड लिया

334. राई से पर्वत करना (या बनाना) – छोटी बात को बहुत बढ़ा देना – दामोदर बडा धूर्त है, किसी भी बात को राई से पर्वत करके सभी से कहता फिरता है

335. रोंगटे खड़े होना – भयभीत होना, भयानक दृश्य देखकर शरीर के रोयें का खडा होना – अंधेरे में भूत जैसा कोई खड़ा था, उसे देखते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गये

336. रफू चक्कर होना – भाग जाना – सिपाही को देखते ही चोर रफू चक्कर हो गया

337. रात दिन एक करना – कठोर परिश्रम करना – उसने परीक्षा में प्रथम स्थान पाने के लिए रात दिन एक कर दिया था

338. रोटी के लाले पड़ना – दाने दाने को तरसना – पति की मौत होते ही बेचारी रमा को रोटी के लाले पड़ गये

339. रोड़ा अटकाना – बाधा डालना – भाइयों ने मेरी पढ़ाई में खूब रोड़े अटकाये, पर मुझे पढ़ने से रोक नहीं सके रौनक जाती रहना

340. रौनक जाना – चमक समाप्त हो जाना – लंबी बीमारी के बाद बिटिया के चेहरे की रौनक जाती रही

341. लंबी तानना – सो जाना – रोज दोपहर में खाना खाकर वह लंबी तान देता है

342. लकीर का फकीर होना – अंधविश्वासी होना, पुराणपंथी होना – राजेंद्र तो बिलकुल लकीर का फकीर है, भला विधवा विवाह के लिए कैसे राजी होगा ?

343. लपेट में आ जाना – घिर जाना – उत्तरी बिहार के सैकड़ों गाँव बाढ़ की लपेट में आ गाय थ |

344. लंबी चौड़ी हाँकना – डींग हाँकना – देवेंद्र हमेशा लंबी चौड़ी हाँका करता है

345. लल्लो चप्पो करना – खुशामद करना – मैं तो साफ साफ ही कहूँगा, लल्लो चप्पो करना मुझे नहीं आता

346. लड़ाई में काम आना – लड़ते लड़ते मर जाना – वियतनाम में अमेरिका के हजारों सैनिक लड़ाई में काम आये

347. लहू का प्यासा होना – जान लेने को तैयार होना – जब से चुनाव में मैंने उसका विरोध किया है तब से वह मेरे लहू का प्यासा हो गया है

348. लुटिया डुबोना या डुबा देना – बर्बाद करना, अपमानित करना – इस भयंकर मंदी में भारी दामों में गेहूँ खरीद कर तुमने मेरी लुटिया डुबो दी

349. लोहा मानना – पराजित होना, प्रभुत्व स्वीकार करना – अंत में तुम्हें मेरी सूझ बूझ का लोहा मानना ही होगा

350. लोहा नहीं मानना – पराजय स्वीकार नहीं करना – अकबर ने बड़े तिकडम किये, परंतु महाराणा जी ने उनका लोहा नहीं माना

351. लोहे के चने चबाना – असंभव या कठिन काम करना – इतने कम समय की तैयारी में परीक्षा में प्रथम स्थान लाना लोहे के चने चबाना है

352. जी लगाना – किसी का ध्यान करना – हर समय भगवान में जी लगाना चाहिए

353. वक्त पर काम आना – विपत्ति में साथ देना – सच्चे दोस्त ही वक्त पर काम आते हैं

354. वचन देना (या हारना) – वादा करना – मैं उसे वचन दे चुका था, अत: किताब मुझे दे देनी पड़ी

355. वार खाली जाना – चाल विफल होना – इस बार तो दुश्मन का वार खाली गया, आगे भी सावधान रहना

356. वीरगति को प्राप्त करना – युद्ध में मारा जाना – महाभारत के युद्ध में भीष्म पितामह वीरगति को प्राप्त हो गये – भारत पाक युद्ध में अनेक सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए

357. शहद लगाकर चाटना – बेकार चीज की हिफाजत करना – इस पुराने कपड़े को क्यों शहद लगाकर चाट रहे हो ? कल मैं नये कपड़े जरूर ला दूँगा

358. शान में बट्टा लगना – इज्जत में कमी आना – मेहनत मजदूरी करके पेट पालने से किसी की शान में बट्टा नहीं लगता

359. शामत सवार होना (शामत आना ) – विपत्ति आना – तुम पर शामत सवार हो गयी है, जो ऐसी ऊल जलूल बातें बक रहे हो ?

360. शेखी बघारना – डींग हाँकना – हम सभी तुम्हें अच्छी तरह जानते हैं, हमारे सामने क्यों शेखी बघारते हो?

361. सनक सवार होना – धुन सवार होना – इन दिनों रमेश पर लॉटरी के टिकट खरीदने की सनक सवार हो गयी है

362. सन्नाटे में आना – ठक रह जाना, कुछ कहते सुनते न बनना – इतने अच्छे लड़के के मुँह से गदी बातें निकलते देखकर मास्टरजी सन्नाटे में आ गये

363. सन रह जाना – हतप्रभ रह जाना – मैं तो शास्त्रीजी की असामयिक मृत्यु की खबर सुनकर सन्न रह गया था

364. सबको एक डंडे से हाँकना – सबके साथ समान व्यवहार करना – सबको एक डडे से हाँकने की नीति ही प्रजातंत्र की सबसे बड़ी कमजोरी है

365. सब्जबाग दिखाना – झूठी आशा देना – व्यापार में लाभ के सब्जबाग दिखाकर इस धूर्त ने,दिवाक़र के सारे रुपये ऐंठ लिये

366. साँप छुछूदर की दशा – भारी असमंजस की दशा – राम मेरे साथ सिनेमा जाने के लिए घर से निकला ही था कि पिताजी ने उसे बाजार जाने को कह दिया, बेचारा साँप छुछूदर की दशा में पड गया

367. सिटटी पिटटी गुम होना – भय से होश हवाश उड़ जाना – अचानक अपने सामने बाघ को देखकर मेरी सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी

368. सिर आँखों पर बैठाना – बहुत आदर सत्कार करना – आप हमारे गाँव में एक बार जरूर आइये, वहाँ के लोग आपको सिर आँखों पर बैठायेंगे

369. सिर उठाना – विरोध करना – अँगरेजों की गलत नीति के कारण ही 1857 ई० में देशी रियासतों ने उनके खिलाफ सिर उठाया था

370. सिर के बल जाना – विनयपूर्वक किसी के पास जाना – हजूर ! आपका हुक्म होते ही यह सेवक आपके पास सिर के बल जायेगा

371. सिर पर खून चढ़ना (या सवार होना) – जान लेने पर उतारू होना – अभी तुम उसके सामने मत जाओ, इस समय उसके सिर पर खून चढ़ गया है

372. सिर पर कफन बाँधना – मरने के लिए तैयार होना – सिर पर कफन बाँधकर बहुत सारे नवयुवक स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे

373. सीधी औगुली से घी न निकलना – नरमी से काम न होना – दारोगाजी, कहीं सीधी अँगुली से घी निकलता है ? इसे दो घूंसे लगाइये, यह सबकुछ ठीक ठीक बता देगा

374. सीधे मुँह बात न करना – अभिमान से बात न करना – जब से धर्मराज की अफसरी मिली है, वह सीधे मुँह बात तक नहीं करता

375. सीनाजोरी करना – जबरदस्ती करना – अपने से छोटे के साथ सीनाजोरी करना ठीक नहीं

376. सूरज को दीपक दिखाना – जो स्वंय गुणवान हो, उसे कुछ बताना; सुविख्यात का परिचय देना – आपका परिचय देना सूरज को दीपक दिखाना है ?

377. हँसी उड़ाना – उपहास करना – किसी की गरीबी पर हँसी उड़ाना अच्छी बात नहीं

378. हक्का बक्का रह जाना – भौंचक रह जाना – नौकर से तुम्हारे विषय में ऐसी अनर्गल बातें सुनकर मैं हक्का बक्का रह गया

379. हवा पीकर रहना – बिना आहार के रहना – मालिक वेतन नहीं दीजियेगा तो क्या में हवा पीकर रहूँगा ?

380. हवा से बातें करना – बहुत तेज चलना या दौड़ना – महाराणा प्रताप ने जैसे ही चेतक को एँड़ लगायी, वह हवा से बातें करने लगा

381. हाथ धोकर पीछे पड़ जाना – किसी काम में जी जान से लग जाना – वह इस नौकरी के लिए हाथ धोकर पीछे पड़ गया है

382. हाथ तंग होना – आर्थिक तंगी होना – हाथ तंग होने के कारण ही मैं मित्र की बीमारी में कुछ कर न सका

383. हाथ के तोते उड़ना – सहसा किसी अनिष्ट के कारण स्तब्ध हो जाना, चकित रह जाना – कचहरी में अपने गवाह को बयान बदलते देखकर मेरे हाथों के तोते उड़ गये

384. हथियार डाल देना – हार मान लेना – आखिर बिना गोला बारूद के सेना कब तक लड़ती, उसे हथियार डाल देना पड़ा

385. हाँ में हाँ मिलाना – खुशामद करना, जी हजूरी करना – साहब की हाँ में हाँ मिलाते जाओ और तरक्की पाते जाओ

386. होश उड़ जाना – भय या आशंका से व्याकुल होना – अचानक अपने दरवाजे पर लाल पगड़ी वालों को देखकर बेचारे के होश उड़ गये

387. हौसला पस्त होना – उत्साह न रह जाना – चुनाव में हार जाने के कारण मनोहर बाबू का हौसल पस्त हो गया है

388. काल के गाल में जाना – मर जाना – देशरत्न डॉ० राजेन्द्र प्रसाद असमय ही काल के गाल में चले गए

389. किस्मत पलटना – भाग्य फिरना – सुधीर के नाम लॉटरी क्या निकली, उसकी तो किस्मत पलट गयी

390. किस्मत फूटना – भाग्य खराब होना – मेरी किस्मत तो उसी दिन फूट गयी थी, जिस दिन तुम जैसा नालायक बेटा मेरी कोख से पैदा हुआ

391. गूलर का फूल होना – दुर्लभ होना – आजकल तो जनाब गूलर के फूल हो गये है, दिखायी ही नहीं पडते

392. गोबर गणेश होना – बेवकूफ होना – उसकी समझ में कुछ भी नहीं आयेगा, वह तो पूरा गोबर गणेश है

393. गागर में सागर भरना – थोड़े में अधिक करना – कविवर बिहारी लाल ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है

394. नकेल हाथ में होना – किसी के काबू में होना – उसकी नकेल मेरे हाथ में है, मेरा कहा वह अवश्य मान लेगा

395. नक्कारखाने में तूती की आवाज – महत्वहीन बात या आवाज – उसने अधिकारियों से इस अन्याय की काफी शिकायत की, लेकिन नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है ?

396. चलता पुरजा होना – चालाकी से काम लेना – आजकल कमाने के लिए चलता पुरजा होना बेहद जरूरी है

397. इांझट मोल लेना – जानकर मुसीबत में पड़ना – ऐसे बदमाश को अपने साथ रखकर मुझे इांझट मोल नहीं लेना

398. चाँद पर थूकना – व्यर्थ कलंक लगना – गाँधीजी के लिए ऐसी बातें कहकर तुम चाँद पर थूकने की कोशिश कर रहे हो

399. निन्यानबे के फेर में आना – धन बढ़ाने की धुन में रहना – वह ऐसा निन्यानबे की फेर में आ गया है कि दीन दुनिया तक को भुला बैठा है

400. दिन में तारे दिखाई देना – मानसिक कष्ट के कारण बौखला जाना – साहब ने आज बडा बाबू को ऐसी खरी खोटी सुनायी कि उन्हें दिन में ही तारे दिखाई देने लगे

401. मूंछ उखाड़ना – घमंड दूर करके दंड देना – अब यदि आगे एक भी गाली दी तो मैं तुम्हारी पूंछ उखाड खुँगा

402. मूली गाजर समझना – अति तुच्छ समझना – तुमने क्या मुझे मूली गाजर समझ रखा है जो बात बात में पीटने की धमकी देते रहते हो ?

403. खाक छानना – खूब ढूँढना – मैंने दर दर की खाक छान डाली, पर वह कहीं भी नहीं मिला

404. खुशी के दीये जलाना – आनंद मनाना, खुश होना – दामोदर को नौकरी मिलने का समाचार जैसे ही मिला, उसके घर में खुशी के दीये जल उठे

405. घोलकर पिला देना – अच्छी तरह से याद करा देना – इतनी बार समझाया, फिर भी नहीं समझे, अब क्या तुम्हें घोलकर पिला दूँ ?

406. जबान में लगाम न होना – अनुचित बातें कहने का अभ्यास होना – तुमसे कौन मुँह लगाये, तुम्हारी जबान में लगाम तो है ही नहीं

407. जलती आग में कूदना – जानबूझकर मुसीबत में पड़ना – शत्रुओं के गाँव में दिन दहाड़े अकेले जाना जलती आग में कूदना है

408. डपोरशंख होना – डींग मारना – यह बिल्कुल डपोरशंख है, कहता बहुत है करता कुछ भी नहीं

409. तलवे चाटना – खुशामद करना – कई दिनों तक वह सेठ के तलवे चाटता रहा, तब कहीं जाकर उसे यह नौकरी मिली है

410. थाह लेना – किसी चीज की गहराई मालूम करना – किसकी हिम्मत है जो सागर की थाह ले सके

411. दाँत खट्टे करना – परास्त करना, हैरान करना – हल्दीघाटी की लड़ाई में राजपूतों ने अकबर के सिपाहियों के दाँत खट्टे कर दिये

412. धरती पर पाँव न रखना – घमंड से चूर रहना – जब से चार पैसे उसके हाथ में आये हैं, वह धरती पर पाँव नहीं रखता है

413. फक हो जाना – घबड़ा जाना – ज्योंही शिक्षक ने विनोद से एक सवा ने पूछा, वह फक हो गया

414. रोटियाँ तोड़नी – बिना मेहनत किये पड़े पड़े खाना – जनाब कुछ करते धरते नहीं, रोटियाँ तोड़ते हैं और बातें बनाते हैं

415. लाले पड़ना – आर्थिक तंगी – बेकारी के कारण इन दिनों उसके घर में खाने के भी लाले पड़े हैं

416. विष उगलना – दुर्वचन कहना – शिशुपाल श्रीकृष्ण को सामने पाकर विष उगलने लगा

417. हाथ पर हाथ धरे बैठे रहना – खाली बैठे रहना – हाथ पर हाथ धरे बैठे रहनेवालों की मदद भगवान भी नहीं करते

418. कोल्हू का बैल – कठिन परिश्रम करनेवाला – पैसा कमाने की धुन में वह बिलकुल कोल्हू का बैल बन गया है

419. तरस खाना – दया करना – मुझ गरीब पर तरस खाकर उन्होंने मुझे ये अनाज दिये हैं

420. तीन तेरह करना – अस्त व्यस्त करना, तितर बितर करना – मेरा सारा किया कराया तो तुमने तीन तेरह कर दिया, अब क्या लेने आये हो ?

421. पाँचों उँगलियाँ घी में होना – खूब फायदा होना – जब से गोपाल के पिताजी विदेश गये हैं, उसकी पाँचों उँगलियाँ घी में हैं

422. फूले अंग न समाना – अत्यधिक प्रसन्न होना – अपनी बेटी की शादी तय होने के संवाद सुनकर माँ फूले अंग न समा रही थी

423. बहती गंगा में हाथ धोना – ऐसी चीज से लाभ उठाना जिससे सब लोग उठा रहे हों – उन दिनों सरकार सुनारों को हर तरह की छूट दे रही थी, गंगू सुनार कब मौका चूकनेवाला था? उसने भी बहती गंगा में हाथ धो लिया

424. यश गाना – प्रशंसा करना, एहसान मानना – वह आज भी अपने मददगार का यश गाता है

425. श्रीगणेश करना – अच्छा काम शुरू करना – अजय अपनी दुकान का श्रीगणेश किस तिथि को करने जा रहे हैं ?

426. भाड़े का टट्टू – क्षणिक, निकम्मा, सिद्धांतहीन आदमी – अरे, तुम गणेश की बात क्या चलाते हो ? वह तो भाड़े का टट्टू है, जिसका खायेगा उसी का गायेगा

CCC Online Test 2021 CCC Practice Test Hindi Python Programming Tutorials Best Computer Training Institute in Prayagraj (Allahabad) O Level NIELIT Study material and Quiz Bank SSC Railway TET UPTET Question Bank career counselling in allahabad Sarkari Exam Quiz Website development Company in Allahabad