Explanation
रौद्र रस- जिस काव्य को पढ़कर या सुनकर हृदय में क्रोध के भाव उत्पन्न होते हैं वहां रौद्र रस होता है। जब हृदय में क्रोध उत्पन्न हो वहाँ रौद्र रस की उत्पत्ति होती है। जैसे- रे नृप बालक काल बस बोलत तोहि न संभार। धनुही सम त्रिपुरारी द्यूत बिदित सकल संसारा।।